एनर्जी सेक्टर 2030 में होगा आत्मनिर्भर भारत, 500 GW का लक्ष्य हासिल करने के लिए बनाई ये योजना
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में बीते सप्ताह हुई बैठक में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने इस योजना को अंतिम रूप दिया है.
भारत ने साल 2030 तक एनर्जी सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के लिए अगले 5 साल के लिए नई योजना तैयार की है. इसी योजना के बलबूते आगे चलकर भारत 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली का टारगेट हासिल कर पाएगा. सरकार ने अगले 5 साल के लिए सालाना 50 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां आमंत्रित करने का फैसला किया है. महज इतना ही नहीं आईएसटीएस (इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन) से जुड़ी अक्षय ऊर्जा क्षमता की इन सालाना बोलियों में प्रति वर्ष कम से कम 10 गीगावॉट की पवन ऊर्जा क्षमता की स्थापना भी शामिल होगी.
योजना को दिया गया अंतिम रूप
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में बीते सप्ताह हुई बैठक में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने इस योजना को अंतिम रूप दिया है. बता दें कि साल 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 GW स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने के लिए COP26 में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार बोली आमंत्रित की गई थी.
एनर्जी ट्रांजिशन में भारत बन रहा ग्लोबल लीडर
सरकार द्वारा अल्पकालिक और दीर्घकालिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के लिहाज से व 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के 500 गीगावॉट के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में यह घोषणा महत्वपूर्ण मानी जा रही है. दुनिया में भारत एनर्जी ट्रांजिशन में ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है. यह उस विकास से स्पष्ट है जो हमने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में हासिल किया है.
2030 तक 500 GW का लक्ष्य हासिल करने को प्रतिबद्ध सरकार
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उल्लेखनीय है कि सरकार 2030 तक 500 गीगावॉट का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. जी हां, सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए शुरू की जा रही बोली लगाने की प्रक्रिया इस दिशा में और प्रोत्साहन प्रदान करेगी.भारत में वर्तमान में कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में लगभग 82 GW के साथ 168.96 GW की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है और लगभग 41 GW निविदा चरण के तहत है। इसमें 64.38 GW सौर ऊर्जा, 51.79 GW जल विद्युत, 42.02 GW पवन ऊर्जा और 10.77 GW जैव ऊर्जा शामिल हैं.
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वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए, एक मजबूत पारेषण प्रणाली को पहले से स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि पवन और सौर ऊर्जा आधारित उत्पादन परियोजनाओं की निर्माण अवधि संबद्ध पारेषण प्रणाली की तुलना में बहुत कम है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया गया है.
12:01 PM IST